अंजलि, एक सफल आहार विशेषज्ञ, अपने घर में ही एक असफल अभियान चला रहीं थीं। जो लोग उन्हें शुगर कंट्रोल करने और कोलेस्ट्रॉल घटाने के लिए हजारों रुपये फीस देते थे, उनके ही पति, मोहित, उनकी किसी भी सलाह को दरकिनार कर देते। मोहित की जिंदगी काम और नींद के इर्द-गिर्द घूमती थी। ऑफिस से देर रात लौटना, सुबह जल्दी उठना, फिर भी ऑफिस का काम घर लाकर करना, यही उनकी रूटीन थी। इसका नतीजा उनके सेहत पर पड़ रहा था। बढ़ता हुआ पेट, घबराहट, और गैस की समस्या उन्हें परेशान कर रही थी, पर मोहित इसे अनदेखा कर देते।
अंजलि चिंता में डूबी रहतीं। एक तरफ उन्हें अपने मरीजों को स्वस्थ रखने की जिम्मेदारी सताती, दूसरी तरफ उनके अपने पति, उनकी सलाह को मानने से इनकार करते। उन्हें उनकी सेहत की फिक्र थी, पर मोहित को सिर्फ जल्दी से खाकर, जल्दी से सो जाना जरूरी लगता। उनके 10 साल के बेटे, युवान, और 7 साल की बेटी, शीना, पिता के व्यस्त जीवन के कारण अक्सर अकेलापन महसूस करते।
एक दिन, खाने की टेबल पर, जब मोहित रोटी के साथ चिकनाई से भरे आलू की सब्जी खा रहे थे, अंजलि ने हिम्मत जुटाकर बात की, “मोहित, ये सब्जी आपके लिए ठीक नहीं है। कोलेस्ट्रॉल बढ़ाने वाली है।”
मोहित, एक बड़े से निवाले को मुंह में डालते हुए बोले, “अंजलि, मुझे पता है तू क्या कहना चाहती है। पर आज बहुत थका हुआ हूं। ऑफिस का बहुत प्रेशर है। कल सही खा लेंगे।”
अंजलि को गुस्सा आने लगा, पर उन्होंने खुद को शांत रखने की कोशिश की। “मोहित, ये कल सही वाली बात कब खत्म होगी? आपकी सेहत बिगड़ रही है। शुगर थोड़ा बढ़ गया है, गैस की समस्या भी है। आप थोड़ा ध्यान दें तो सब ठीक हो जाएगा।”
मोहित ने जल्दी से खाना खत्म किया और उठते हुए बोले, “अच्छा, ठीक है। कल देखते हैं क्या बनाती हो।” पर उनका “कल” कभी नहीं आया। हर रोज वही बहाना, वही लापरवाही।
एक रात अंजलि की नींद टूट गई। वे मोहित के तेज सांस लेने की आवाज सुनकर चौंकीं। वह बेचैनी से करवटें बदल रहे थे। उनके माथे पर पसीना था। अंजलि ने उनकी छाती पर हल्के से हाथ रखा तो वह तपाक से जगे।
“क्या हुआ मोहित?” अंजलि ने घबराकर पूछा।
“मुझे… मुझे… सांस लेने में तकलीफ हो रही है,” मोहित हकलाते हुए बोले।
अंजलि तुरंत उन्हें डॉक्टर के पास ले गईं। डॉक्टर ने जांच के बाद उन्हें डांट लगाई।
“आपकी लाइफस्टाइल ही आपकी बीमारी का कारण है। कोलेस्ट्रॉल बहुत बढ़ गया है। समय रहते नहीं संभले तो आगे चलकर दिक्कतें खड़ी हो सकती हैं।”
डॉक्टर की बात सुनकर मोहित को पहली बार अपनी लापरवाही का एहसास हुआ। अंजलि ने तुरंत उन्हें एक डाइट चार्ट थमा दिया।
घर वापस आते हुए मोहित चुप थे। अंजलि को लगा शायद उनमें थोड़ा बदलाव आया है। मगर घर पहुंचते ही मोहित ने वह चार्ट अंजलि की तरफ फेंकते हुए कहा, “ये सब फालतू है। मुझे ये सारी पाबंदियां पसंद नहीं।”
अंजलि निराश हो गईं। मगर उन्होंने हार नहीं मानी। उन्होंने मोहित की पसंद का ध्यान रखते हुए एक
नया डाइट चार्ट बनाया। इसमें उन्होंने लो फैट दही, ओट्स, गेहूं की रोटी, और हरी सब्जियों को शामिल किया। साथ ही उन्होंने इस चार्ट को इस तरह से पेश किया मानो मोहित को कोई खास तोहफा दे रहीं हों।
“ये लो मोहित, मैंने तुम्हारे लिए स्पेशल चार्ट बनाया है। इसमें वो सब चीजें हैं जो तुम खाना पसंद करते हो। हेल्दी भी हैं और स्वादिष्ट भी।”
मोहित ने चार्ट को उलटापुलट देखा। फिर अंजलि की तरफ देखकर बोले, “पर इसमें वो मसालेदार खाना कहाँ है? वो बाहर से लाने वाली पिज्जा? ये तो बिलकुल फीका लग रहा है।”
अंजलि मुस्कुराईं और बोलीं, “ये फीका नहीं है, हेल्दी है। मैं तुम्हारे लिए स्पेशल मसाला बनाऊंगी जो स्वादिष्ट भी होगा और सेहत के लिए भी अच्छा होगा। और पिज्जा के बारे में सोचो, क्या तुम वाकई अपने बच्चों के साथ पार्क में खेलना नहीं चाहते? उनके साथ वक्त बिताना नहीं चाहते? अगर तुम हेल्दी रहोगे तो ये सब कर पाओगे।”
मोहित थोड़ा सोचने लगा। अंजलि की बातों में दम था। वह अपने बच्चों की उपेक्षा से परेशान था। उन्हें उनकी ज़रूरत का एहसास होता था, पर थकावट और काम के बोझ तले दबा वह उनके लिए वक्त नहीं निकाल पाता था।
अगले दिन, सुबह अंजलि ने मोहित के लिए ओट्स और फल से बना हेल्दी ब्रेकफास्ट तैयार किया। मोहित ने थोड़े संकोच के साथ लिया, पर खाते वक्त उसे बुरा नहीं लगा।
अंजलि ने धीरे-धीरे बदलाव लाने शुरू किए। उन्होंने ऑफिस के लिए भी मोहित का हेल्दी लंच बॉक्स तैयार करना शुरू किया। रात के खाने में भी उन्होंने स्पाइसी सब्जियों को शामिल किया, पर कम तेल के साथ। हर छोटी सफलता के साथ अंजलि का उत्साह बढ़ता गया।
मोहित को भी फर्क महसूस होने लगा। वह पहले से ज्यादा एनर्जेटिक रहने लगा। गैस की समस्या कम हो गई। धीरे-धीरे उसका पेट भी कम होने लगा। सबसे बड़ा बदलाव ये हुआ कि वह अब शाम को जल्दी घर आने लगा।
एक शाम, डिनर टेबल पर बैठते हुए मोहित ने अंजलि का हाथ थाम लिया। “अंजलि, माफ करना। मैं इतना लापरवाह रहा। तेरी बात नहीं मानी।”
अंजलि ने मुस्कुराते हुए उसका हाथ सहलाया, “कोई बात नहीं मोहित। अब तो तुम ठीक हो, ये ही काफी है।”
मोहित ने आगे कहा, “और हाँ, ये जो तुम बच्चों के साथ पार्क जाने की बात कर रही थी, चलो कल चलते हैं।”
अंजलि खुशी से झूम उठीं। उनका पति को स्वस्थ और खुश देखने का सपना पूरा हो रहा था। ये उनकी जीत थी, एक पत्नी की अपने पति के लिए किए गए स्वास्थ्य-यज्ञ की विजय।
इस कहानी से हमें दो मुख्य शिक्षाएं मिलती हैं:
- अपने स्वास्थ्य के प्रति सजग रहना: कहानी हमें सिखाती है कि हमारा स्वास्थ्य सबसे अनमोल संपत्ति है। हमें उसके प्रति लापरवाह नहीं होना चाहिए। अस्वस्थ आदतें आगे चलकर गंभीर बीमारियों का कारण बन सकती हैं। मोहित की कहानी इसका जीता जागता उदाहरण है।
- प्रेरणा और धैर्य का महत्व: कहानी अंजलि के दृढ़ निश्चय और धैर्य को भी उजागर करती है। वह अपने पति के स्वास्थ्य को लेकर परेशान थीं, पर उन्होंने हार नहीं मानी। उन्होंने मोहित को समझाने के लिए हर तरह की कोशिश की और अंततः सफल रहीं। यह हमें बताता है कि किसी को भी स्वस्थ आदतें अपनाने के लिए प्रेरित करने में धैर्य और समझदारी का बहुत महत्व होता है।
Beautiful story. Ye to Aaj har middle class family ke sath ho Raha. Apne ham sabke Dil ko chhu liya ye kahani likh kar. Thank you so much